चाँद छूने का सपना
बहुत समय पहले, एक छोटे से पहाड़ी गाँव में "विराट" नाम का एक लड़का रहता था। वह हर रात अपने घर की छत पर बैठकर आसमान को निहारता था। चाँद की खूबसूरती उसे बहुत आकर्षित करती थी। वह हमेशा सोचता, "क्या मैं चाँद को छू सकता हूँ?"
उसके माता-पिता और दोस्त उसकी बात सुनकर हँसते और कहते, "चाँद को छूना असंभव है, विराट। तुम क्यों ऐसी बातें करते हो?" लेकिन विराट का सपना अडिग था। उसने खुद से वादा किया कि वह एक दिन चाँद तक ज़रूर पहुँचेगा।
शुरुआत की कठिनाइयाँ
विराट ने पढ़ाई में मन लगाना शुरू किया। उसने विज्ञान की किताबें पढ़ीं और अंतरिक्ष के बारे में सब कुछ जानने की कोशिश की। लेकिन गाँव के स्कूल में सीमित संसाधन थे। कई बार, उसे पुरानी किताबें और फटे पन्ने भी इस्तेमाल करने पड़ते थे।
उसके शिक्षक, "शास्त्री जी", ने उसकी लगन देखकर उसका हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा, "अगर तुम्हारा सपना बड़ा है, तो मेहनत और विश्वास उसे सच कर सकते हैं।" विराट ने यह बात अपने दिल में बैठा ली।
शहर की ओर कदम
अपनी मेहनत के बल पर विराट को एक बड़े शहर के विश्वविद्यालय में दाखिला मिला। वहाँ उसने विज्ञान और अंतरिक्ष तकनीक पर गहराई से अध्ययन किया। कई बार उसे भूखा रहना पड़ा, देर रात तक काम करना पड़ा, लेकिन उसने हार नहीं मानी।
उसने अपने प्रोफेसरों और साथी छात्रों के साथ मिलकर एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार किया, जो चाँद पर जीवन के संभावनाओं की खोज से जुड़ा था। उसका प्रोजेक्ट इतना प्रभावशाली था कि उसे देश की अंतरिक्ष एजेंसी में काम करने का मौका मिला।
चाँद की यात्रा
कुछ वर्षों बाद, विराट को अपनी टीम के साथ चाँद पर जाने वाले मिशन में चुना गया। यह उसके जीवन का सबसे बड़ा दिन था। उसने अपनी मेहनत और विश्वास के दम पर वह कर दिखाया, जिसे कभी असंभव कहा गया था।
जब वह चाँद पर उतरा और अपनी आँखों के सामने धरती को देखा, तो उसकी आँखों में आँसू थे। उसने खुद से कहा, "यह मेरी मेहनत और सपनों की जीत है।"
संदेश
विराट की कहानी हमें सिखाती है कि बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हौसला रखना चाहिए। अगर आप मेहनत और लगन से अपने सपनों के पीछे चलते हैं, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती।
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